यारों अपना हाल अब ऐसा हो गया अपने ही किए पर अब सिर धुन रहा। यारों अपना हाल अब ऐसा हो गया अपने ही किए पर अब सिर धुन रहा।
फिर भी नशा बनाये रखते हैं हम सब फिर भी नशा बनाये रखते हैं हम सब
ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है,
नन्हे दामन में लेना तू समेट केहरी का यह अंतिम भेंट। नन्हे दामन में लेना तू समेट केहरी का यह अंतिम भेंट।
यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा। यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा।
आखिर बेटी हूं ना उनकी। आखिर बेटी हूं ना उनकी।